मेटकाफ हॉल

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(मेटकॉफ हॉल से अनुप्रेषित)
मेटकाफ हॉल

1905 में मेटकॉफ हॉल
सामान्य विवरण
वास्तुकला शैली नवशास्त्रीय, यूनानी पुनरुत्थान वास्तुकला
स्थान कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
निर्माण सम्पन्न 1844

मेटकाफ हॉल या मेटकॉफ हॉल एक विरासत भवन है जो कि भारत के कोलकाता शहर के व्यापारिक जिले के केंद्र में स्ट्रैंड रोड और हेयर स्ट्रीट के संगम (जंक्शन) पर स्थित है। इसकी वास्तुकला उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में प्रचलित ब्रिटिश शाही वास्तुकला पर आधारित है और प्राचीन यूनानी मंदिरों से मेल खाती है। इसे 1840-1844 के बीच सिटी मजिस्ट्रेट सी.के. रॉबिन्सन द्वारा तैयार किए गए डिजाइन के अनुसार बनाया गया था, और इसका नाम भारत के गवर्नर जनरल सर चार्ल्स थियोफिलस मेटकाफ के नाम पर, प्रेस की स्वतंत्रता के लिए किए गये उनके योगदान के सम्मान में रखा गया था। इस इमारत की पश्चिम दिशा में हुगली नदी स्थित है।

इतिहास[संपादित करें]

सर चार्ल्स थियोफिलस मेटकाफ, लॉर्ड विलियम बेंटिंक के पश्चात भारत के गवर्नर जनरल बने थे और 1835 से लेकर 1836 तक इस पद पर रहे, हालांकि अपने इस छोटे से कार्यकाल में उन्होनें ब्रिटिश द्वारा भारतीय प्रेस पर लगाई गयी सभी पाबन्दियों को हटा लिया था, जो कि प्रेस की स्वतन्त्रता की दिशा में बहुत बड़ा कदम था। मेटकॉफ हॉल बनाने का विचार सबसे पहले पुराने उच्चतम न्यायालय के एक अधिवक्ता लौंगविल क्लार्क ने दिया था।

मेटकॉफ हॉल के निर्माण के लिए 1838 में एक समिति का गठन किया गया और प्रस्तावित हॉल के लिए स्थान का चुनाव भी किया। यह स्थान एक कुलीन बंगाली हरिनारायन सेठ की मिलकियत था और जिन्होंने ईस्ट इंडिया कम्पनी के समर्थन से अकूत दौलत कमाई थी। इमारत का शिलान्यास 19 दिसम्बर 1840 को किया गया। इसका डिज़ाइन यूनान के 'वायु का मंदिर' से मिलता जुलता था।

प्रारंभ में, इस इमारत को कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी संग्रह के तौर पर इस्तेमाल किया गया, जिसका गठन तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड मेटकाफ ने फोर्ट विलियम कॉलेज के पुस्तकालय से 4,675 खंडों (पुस्तकों) को स्थानांतरित कर के किया था। निजी तत्त्वावधान में गठित यह पुस्तकालय स्थानांतरित खंडों और दान में दी गयीं अन्य पुस्तकों से मिल कर बना था। कवि रवींद्रनाथ टैगोर के दादा, द्वारकानाथ टैगोर कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी के पहले रखवाले (संग्रहाध्यक्ष) थे। इसके पश्चात भूतल में एशियाटिक सोसायटी की दुर्लभ पत्रिकाओं और पांडुलिपियों का खंड बनाया गया, जबकि प्रथम तल के कमरों में कार्यालय, प्रदर्शनी दीर्घाएँ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक बिक्री काउंटर बनाया गया।

नवीकरण[संपादित करें]

दीर्घा[संपादित करें]


निर्देशांक: 22°34′17.5″N 88°20′41″E / 22.571528°N 88.34472°E / 22.571528; 88.34472

सन्दर्भ[संपादित करें]