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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (Micro, Small and medium enterprises) वे उद्योग हैं जिनमें काम करने वालों की संख्या एक सीमा से कम होती है तथा उनका वार्षिक उत्पादन (turnover) भी एक सीमा के अन्दर रहता है। किसी भी देश के विकास में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।

भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग[संपादित करें]

भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी[मृत कड़ियाँ]) अधिनियम 2006 अधिनियमित किया था जिसके अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की परिभाषा उन उद्योगों में 'प्लान्ट एवं मशीनरी' में निवेश के अनुसार निर्धारित होती थी। किन्तु 7 अप्रैल,2018 से नई परिभाषा लागू है जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया था। इस परिवर्तन के बाद अब “प्लांट और मशीनरी” में निवेश की जगह “टर्नओवर” के आधार पर MSMEs वर्गीकरण किया जायेगा।

विनिर्माण क्षेत्र[संपादित करें]

किसी वस्तु के निर्माण अथवा उत्पादन, प्रसंस्करण अथवा परिरक्षण करने वाले उद्यम इस श्रेणी में शामिल किये जाते हैं।

सूक्ष्म उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. 5 करोड़ से कम
लघु उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. 5 करोड़ से 75 करोड़ के बीच
मध्यम उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. 75 करोड़ से 250 करोड़ के बीच

सेवा क्षेत्र[संपादित करें]

सूक्ष्म उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. 5 करोड़ से कम
लघु उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. 5 करोड़ से 75 करोड़ के बीच
मध्यम उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. 75 करोड़ से 250 करोड़ के बीच

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]