जंगली जानवर के तानों

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जिन कारकों से जानवर पीड़ित होते हैं, वे बहुत विविध होते हैं । कुछ प्रत्यक्ष मानवीय कार्रवाई के कारण हैं । दूसरों को अप्रत्यक्ष मानव कार्रवाई, प्राकृतिक परिस्थितियों, या दोनों के संयोजन के परिणाम से हो सकता है । आंशिक रूप से या पूरी तरह से प्राकृतिक होने वाले कारकों में शत्रुतापूर्ण मौसम की स्थिति, भूख और कुपोषण, प्यास, बीमारियों की विस्तृत श्रृंखला, दुर्घटनाएं और चोटें, अन्य जानवरों के साथ संघर्ष, परजीवीता और मनोवैज्ञानिक तनाव हैं । ये असामान्य परिस्थितियां नहीं हैं, और उनके कारण जानवरों को जो नुकसान पहुंचाता है, वो तुच्छ नहीं हैं । वे उनके लिए उतने ही दर्दनाक और गंभीर हैं जितने कि वे पालतू जानवरों या हमारे लिए होंगे । वास्तव में, उनके कारण, कई जानवरों के जीवन मे खुशी से कहीं अधिक दुख होते हैं ।[1][2][3].

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Tomasik, Brian (2015-11-02). "The Importance of Wild-Animal Suffering". Relations. Beyond Anthropocentrism (अंग्रेज़ी में). 3 (2): 133–152. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2280-9643. डीओआइ:10.7358/rela-2015-002-toma.
  2. Faria, Catia; Paez, Eze (2015-05-11). "Animals in Need: the Problem of Wild Animal Suffering and Intervention in Nature". Relations. Beyond Anthropocentrism (अंग्रेज़ी में). 3 (1): 7–13. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2280-9643.
  3. "जंगली जानवरों के कष्टों का परिचय". पशु नैतिकता. पशु नैतिकता. 2020-09-27. अभिगमन तिथि 2020-10-21.