त्यागी

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त्यागी पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पायी जाने वाली एक जमींदार ब्राह्मण जाति है। त्यागी परशुराम भगवान के वंशज हैं इन्होंने ही परशुराम भगवान के साथ मिलके अधर्मी क्षत्रिय राजाओं के खिलाफ युद्ध लड़ा था और जीता भी था[1]

त्यागी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमींदारी व् रियासतों से जाने जाते है। तलहैटा, निवाड़ी, असौड़ा रियासत, रतनगढ़, हसनपुर दरबार(दिल्ली), बेतिया रियासत, राजा का ताजपुर, बनारस राजपाठ, टेकारी रियासत, आदि बहुत सारे प्रमुख राजचिन्ह है। इसके अलावा सैकड़ो बावनी(बावन हजार बीघा जमीन वाले) गांव है।


बनारस का राजघराना (विभूति साम्राज्य) काशी नरेश भी इसी परिवार से है। इसके अलावा ईरान, अफ़ग़ानिस्तान के प्राचीन राजा भी मोहयाल शाखा के यही थे। इनमे सबसे प्रमुख है अफ़ग़ानिस्तान का प्राचीन शाही साम्राज्य जो मोहयालो का महान साम्राज्य था जिन्होंने भारतवर्ष में सबसे पहले अरबो को युद्ध में धुल चटाई थी और ऐसी हार दी थी की अगले 300 साल तक कोई हमला नही कर पाए थे।

त्यागी समाज की उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, मुरादाबाद और बिजनौर जिले के गाँव में अधिक संख्या है, इसके अलावा दिल्ली में छतरपुर, शाहदरा, शकरपुर, होलंबी कलां, मंडोली, बुराडी इत्यादि त्यागीयो के मुख्य गाँव है, हरियाणा के कुछ जिले जैसे कि सोनीपत, फरीदाबाद, गुडगाँव, पानीपत, रोहतक, पलवल और करनाल में भी त्यागीयो के गाँव मिलेंगे।

मध्यप्रदेश के मुरैना मैं त्यागीयो के 45 गांव हैं जिसे पेतालिसी के नाम से जाना जाता है। इसमें प्रमुख तोर पै दीपेरा,निधान,चिन्नोनी करैरा, बदरपुरा(यही गालव पूर्व त्यागी ब्राह्मणों कि कुलदेवी माता सती का मंदिर है),खरिका,भटपुरा और चचिया जैसे गांव आते है।मध्यप्रदेश के भिंड मैं भी त्यागीयो के अच्छे खासे गांव है।नरसिंहपुर,सीहोर, आगर मालवा मैं भी त्यागीयो ठीक ठाक आबादी है।

राजस्थान के धौलपुर मैं भी त्यागीयो के 40 गांव है जिसे चालीसी के नाम से जाना जाता है। यहां त्यागियो का अच्छा दबदबा है।

दिल्ली के एक राजा ने भाइचारे की मिसाल देते हुए छतरपुर के पास तंवर(गुर्जरो) को दिल्ली के 8 गाँवो में बसाया था, जिनमें से एक प्रमुख गाँव (असोला फतेहपुर बेरी) आज भी छतरपुर के पास स्तिथ तंवर(गुर्जरों) का प्रमुख गाँव माना जाता है। गाजियाबाद के मुरादनगर में त्यागी समाज का इतिहास बहोत पुराना है यहां एक समय लगभग 40 गाँव का जमींदारा त्यागीयो पर था, उस समय के कुछ प्रमुख गाँव जो जमींदारी थी वो वर्तमान मे भी मौजूद है जिनमे प्रमुख तौर पर ग्राम [ बन्दीपुर ] और [ काकड़ा ] शामिल है जो उस समय अपनी जमींदारी के लिए जाने जाते थे।

आजादी के समय मुरादनगर के ही 5 त्यागीयो के गाँव अंग्रेजो के खिलाफ बागी हो गए थे जिनमे ग्राम कुम्हैड़ा, खिंदौडा, भनेडा, ग्यास्पुर और सुहाना शामिल थे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. रवींद्रनाथ, इंदु, अशोक, त्यागी (2005). Vasant se patjhar tak. भारतीय ज्ञानपीठ.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)