लघुभास्करीय

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लघुभास्करीय गणित एवं ज्योतिष का ग्रन्थ है जिसके रचयिता भास्कर प्रथम माने गये हैं। यह ग्रन्थ ‘आर्यभटीयम्’ ग्रन्थ के मूल सिद्धान्तों के व्याख्या ग्रन्थ के रूप में स्वीकार किया जाता है। शंकरनारायण ने इस पर 'लघुभास्करीयविवरण' नामक भाष्य लिखा है। उदयदिवाकर ने इसकी (लघुभास्करीय की) सुन्दरी नामक टीका लिखी है। लघुभास्करीयम् सिद्धान्त ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान के विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी माना जाता है।

लघुभास्करीय में ७ अध्याय हैं। लघुभास्करीयम् ग्रन्थ की विषय सामग्री के उद्धरण 16वीं शताब्दी तक सूर्यदेव (1191 ई.), यल्लाचार्य (1480 ई.), नीलकण्ठ (1500 ई.) आदि ने ग्रहगणित सम्बन्धित सिद्धान्त ग्रन्थों की व्याख्या में उद्धृत किये हैं। इनके अतिरिक्त आपस्तम्बशुल्वसूत्र, तन्त्रसड्ग्रह आदि ग्रन्थों में भी इस ग्रन्थ के उद्धरण प्राप्त होते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

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