वार्ता:मिस्र के पिरामिड

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लेखन संबंधी नीतियाँ

मेरे विचार से इस लेख का सही नाम गिज़ा के पिरामिड होना चाहिए। रोहित रावत ०४:१९, ८ जून २००९ (UTC)

छोटे लेखों या आज का आलेख के लेखों में दो या तीन ही तो संदर्भ देने हैं तो ऐसा करें कि हम हिन्दी के संदर्भ दें। यदि नहीं मिले तो अंग्रेजी का डाल सकते हैं।--Munita Prasadवार्ता १४:५२, ६ अगस्त २००९ (UTC)

लेख का एक और संस्करण: गीज़ा के महान पिरामिड जिसे सदस्य:Mubeena begum और सदस्य:N.TAAHIRAH ANJUM ने मिलकर लिखा है[संपादित करें]

सन् २००५ में गीजा की महान पिरामिड का दृष्य ; इसका निर्माण ईसा से २५६० वर्ष पहले हुआ था। यह मिश्र के गाजा क्षेत्र की तीन पिरामिडों में सबसे पुरानी एवं सबसे बड़ी पिरामिड है।

गीजा की महान पिरामिड[संपादित करें]

यह मिश्र के गाजा क्षेत्र की तीन पिरामिडों में सबसे पुरानी एवं सबसे बड़ी पिरामिड है। यह विश्व के आश्चर्य प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है तथा इनमें भी सबसे पुरानी है। इन सात आश्चर्यों में यही एक है जो बहुत सीमा तक सुरक्षित बची हुई है। गुफा के अन्दर एक चिन्ह मे एक गिरोह के नाम से पता चलता है कि मिश्र के राजवन्श का उल्लेक चौथे " फारो खुफु" का किया गया है। यह पिरामिड मक़बरा के रुप मे १० से २० साल की अवधि लगभग २५६० बी सी ईसा पूर्व सामापन किया गाया। शुरुवात मे यह १४६.५ मीटर महान पिरामिड मनुष्य से बनाया हुआ विशव के सबसे बडा डॉचा है। लगभग ३८०० वर्ष से अधिक का है। मूल रुप से यह माना जाता है कि इस पिरामिड का बनाने के लिये पत्थर को कुयरी से खीन्च कर बाहरी डॉचा से जोडकर बनाया गया है।

महा पिरामिड के अन्दर तीन कक्ष है। नीचे हिस्से के कक्ष मूलभूत निचला हिस्सा जो अधूरी है। रानी और राजा के कक्ष ऊपरी हिस्से पर है। इस महा पिरामिड मे नीचे और ऊपर जाने का रास्ता है जो अन्य पिरामिड मे नही मिलती। गीजा पिरामिड के मुख्य भाग मे एक इमारत और दो मन्दिर है जो खुफु के नाम पर बानाया है। और तीन छोटे छोटे पिरामिड खुफु की शनीयों के लिये और छोटे पिरामिड के भीतरी भाग मन्दिर और मकबरा को जोडता है।

इतिहास और विवरण :[संपादित करें]

यह माना जाता हे कि पिरमिड एक मकबरा के रूप मे बनाया गाया था । वह चौथे रजवन्श मिश्र के फारो "खुफु" के निर्मित किया गय था । ओर यह २० साल की अवदि पर बना था । कुछ लोगो का मानना हे कि ये खुफु वज़ीर "हेनन या हेमियुनु" नामक वस्तुकारो दुआरा निर्मित किया गया था । ये माना जाता हे कि महा पिरमिड बन जाने के बाद २८० मिश्री कुबिड ऊछा ओर १४६.५ मीटर (४८०.६ फुट्) था । लिकिन बुकटाव और अन्य कारनो से यह अब इसकी ऊछाइ १३८.८ मीटर (४५५.४ फुट) हे । २० साल के अवदि मे इस महा पिरमिड को बनाने के लिये रोजाना ८०० ट्न्स पथर कि अव्श्यक्ता हुयी होगी । इस्से ये पता छलता हे के इसकी २० साल की निर्मानित काल मे ऑसत १२ पत्थर हर एक घनटॅ के हिसाब मे रात ओर दिन निर्मानित किया गया होगा । यह महा पिरमिड ३८०० साल तक विश्व के सब्से बडा माना जाता था ।

गुप्त कक्श[संपादित करें]

सन्न १९२३ मे जर्मनी के रुदोल्फ जी ने एक जीने रोबोट पर केमरा लगाकर राजा और रानी के कक्शो के एर्शफ्ट्स की ओर भेजा। वह बाहर निकलने के मार्ग का पता लगाना चाहा। राजा के कक्श का एर्शफ्ट पिरामिड के बाहर की ओर निकलता लेकिन इसका पता न चल सका के रानी के कक्श का एर्शफ्ट किस ओर निकलता है। यह कहना भी अनुचित होगा कि यदी वह पिरामिड की सतह पर से निकलता है या कही ओर से। उस रोबोट की कीमत लगभग मिलियन डोलर की एक चोथाई होगी।

तीन सनअगतराशे जो रानी के कक्श मे पाए गए[संपादित करें]

रानी के कक्शो के बाहर जाने का रासते का पता न चल सका क्योन्कि जिस प्रकार एर्शफ्त्स राजा के कक्श से बाहर की ओर निकलता है उस प्रकार रानी के कक्श का एर्शफ्ट बाहर नही निकलता। अगर देखा जाए तो एक एर्शफ्ट कथित गुप्त कक्श की ओर ले जाता है। अगर हम समय से पूर्व मुडकर इतिहास की खोज को देखे तो एक ओर दिलचस्ब रहस्य रानी के कक्श से मालूम होती है। सन्न १८७२ मे वेय्नमेन डिक्षन, एक अभियन्ता ने रानी के कक्शो के एर्शफ्ट्स को खोजना चाहा। जब वह जान्च रहे थे तो उन्हे दक्शिणी दीवार के अनुभाग मे दरार दिखाई दी जिसको फोड्कर उनहोने आखिर एइर्शफ्ट को धून्ड ही लिया। फिर उनहोने उसके विरोधी पक्श यानी उत्तरी दीवार की जान्च की। वहान उन्हे यह तीन चीजे मिली-एक कडक पत्थर का गोला, एक छोटा मेटल का बना हुआ दो-अयामी वाला हुक और एक १२ सेन्टिमीटर की बडी सेडार की लकडी।

अनदेखे कक्शो की जान्च[संपादित करें]

हज़ारो वर्शो से अन्देखे कक्शो और पथो को खोजने की तलाश जारी है। छुपे हुए खजाने, पिरामिड के रूपरेखाए, वैग्यानिक सूचनाओ के उपकरणे, खोई हुई सन्स्क्रुतिक चीज़े आदी को खोजने का उत्साह लोगो को गुप्त कक्शओ को धून्ड्ने के लिए प्रेरित कर रहे है। उन्हे खोजने के लिए कई सारे उपयोग किए गए परन्तु हमे यकीन है कि एक दिन वह सफल होगे और वह गुप्त कक्श की खोज पूरी होगी और उस खोज के ज़रिए हमे ओर जान्कारी प्राप्त होगी।

आधुनिक सान्स्क्रुतिक चित्रण[संपादित करें]

उनकी लोकप्रियता के कारण खुफु और उसका पिरामिड आधुनिक स्वागत समारोह का उद्देशय है। खुफु पर आधारित कई एतिहासिक चित्र फिलमे, उपनयास और डोक्युमेन्ट्स प्रकट की गई है। इस पर आधारित प्रसिद्द विशयवस्तु सिनेमेटिक फिलमे भी बनी है।