सदस्य:KRISHNA IYER S/प्रयोगपृष्ठ

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परिचय[संपादित करें]

मेरा नाम कृष्णा अय्यर है। वर्तमान मे, मै भारत के जाने माने विश्वविद्यालय- "क्राइस्ट यूनिवर्सिटी" से जैव प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान और जूलॉजी के विषय मे अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहा हूँ।

मेरा जन्म सन् १९९८ में अगस्त महीने की चौदहवी तारीक को तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर जिले मे हुआ। मेरे पिताजी का नाम श्री शंकर राजन अय्यर अथवा माताजी का नाम श्रीमती मैथिली शंकर है। मेरी एक बडी बहन है, जिन्का नाम श्रीमती शारदा अय्यर है। मेरे परिवार मे एक और अनोखा सदस्य है जो सभी अन्य सदस्यो का प्रियतम है। उन्का नाम श्री लड्डू है। लड्डू हमारा ग्यारह महीने का "लेब्र्दडार" कुत्ता है। मेरे पिताजी एक निजी सन्स्था मे निर्यात व्यवस्था के प्रबंधक है अथ्वा मेरी मतजी भी [http://"चिन्मया%20विद्यालय" "चिन्मया विद्यालय"] नामक एक निजी शैक्षिक संस्था मे अध्यापिका के रूप मे कार्य करती है। मेरी बड़ी बहन अथ्वा जीजाजी बैंगलोर की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी मे काम करते है। मेरा परिवार एक मेहनती और एक सुखद परिवार है।

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

पिछ्ली दो पीढ़ियों से मेरा परीवार उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्र्देश जैसे राज्यो मे स्थित रहा है। मेरे पिताजी का जन्म महाराष्ट्र मे हुआ था परन्तु उन्का पालन- पोषण मध्य प्रदेश के भोपाल नामक जिले मे हुआ। मेरा बचपन भी भोपाल मे ही गुज़रा। भोपाल मे रेहते हुए मैने हिन्दी भाषा सीखी।

प्रारंभिक शिक्षा[संपादित करें]

मैने अपनी प्रारंभिक शिक्षा, भोपाल के [http://"होली%20फैमली%20कोन्वेन्ट" "होली फैमली कोन्वेन्ट"] नामक एक विद्यालय से शुरु की। मुझे बचपन से ही पढाई मे बहुत रुचि रही है। मैने चौथी कक्षा तक उस विद्यालय मे अपनी पढाई की। सन २००८ मे मुझे भोपाल के सबसे प्रसिद्ध विद्यलय- [http://"जवाहर%20लाल%20नेहरू%20विद्यालय" "जवाहर लाल नेहरू विद्यालय"], भोपाल मे दाखिला मिल गया। आगे जाते हुए मैने पांचवी कक्षा से नौवी कक्षा तक उस विद्यालय मे मन लगाकर पढाई की। इस दौरान, इस विद्यालय के शिक्षकों से प्रेरणा लेते हुए मैने अपनी आगे की शिक्षा, जीवविज्ञान के क्षेत्र मे करने का संकल्प

किया। सन् २०११ मे, कुछ पारिवारिक स्थितियो के कारण, हम भोपाल से कोयंबटूर आ गए। यहाँ, मैने "चिन्मया विद्यालय" नामक एक विद्यालय मे दाखिला लिया और बारहवीं कक्षा तक इसी विद्यालय मे अपनी शिक्षा ग्रहण की।

जीवन के सिद्धांत[संपादित करें]

मै आरंभ से ही अपने जीवन मे कुछ सिद्धांतो का पालन करता आ रहा हू। मेरा हमेशा यह मानना रहा है कि समयनिष्ठ, ईमानदार, संगठित और काम करने के लिए प्रतिबद्ध रहना ही जीवन मे उन्नती और सफल्ता पाने के कुछ रास्ते है। मेरे पिताजी ने हमेशा ही इन गुणो के महत्वो के बारे मे मुझे बतया है और उन्से प्रेरणा पाते हुए मैने अपने जीवन मे इन कुछ अच्छी बातो को हमेशा महत्व दीया है। मेरा मानना है कि इन सिद्धांतो का पालन करने के कारण ही मेरा जीवन काफी समृद्ध और परेशानी रिक्त रहा है।

व्यक्तिगत शौक[संपादित करें]

मुझे हिन्दी अथ्वा अंग्रेज़ी भाषाओ मे हमेशा दिलचपी रही है। मुझे कहानिया, निबन्ध, कविता, समाचार पत्र का लेख आदि लिखना बहुत पसन्द है। मुझे आधुनिक युग की समाजिक स्थितियो अथ्वा आज की परेशानियो और उन्के नये तथा बौद्धिक समाधान के विषय के बारे मे लिखना और विचार करना भी बहुत ही ज्यादा पसन्द है। मै एक जान्वर प्रेमी हू, और इस कारण मै जान्वरो और अन्य प्राणियो के साथ अपना समय बिताना भी पसन्द करता हू। मुझे अच्छी और सोचा उत्तेजित करने वाली चलचित्र देखना भी पस्न्द है। मुझे मधुर एवम् भावपूर्ण संगीत सुन्ना भी बहुत भाता है। मै काफी कम आयु से ही मंच प्रस्तुतियों, भाषण तथा अन्य इंटरैक्टिव सत्र मे भाग लेता आ रहा हू। मुझे प्रेरणादायक व्याख्याए देना, कहानी कहना, कविता का पाठ करना आदि मे बहुत रुचि है।

उपलब्धिया[संपादित करें]

अपने जीवन मे मैने बहुत ही कम असली सफलताए पायी है परन्तु स्कूल मे मै हमेशा से ही एक सक्रिय छात्र रहा हू। मैने स्कूल अथ्वा अपने विश्वविद्यालय मे काई उत्सवो तथा प्रतियोगिताओं मे सक्रियता से भाग लिया और कई बारी कई प्रतियोगिताओं मे पुरस्कार व सम्मान भी पये है। मैने अपना पहला लेख सन् २००८ मे, दस साल की उम्र मे "पत्रिका" नामक एक हिन्दी अख्बार मे प्रकाशित करवाया। सन् २०१५ अथ्वा २०१६ मे मेरी कहानिया- 'मे आय कम इन'(http://timesofindia.indiatimes.com/life-style/relationships/soul-curry/May-I-come-in/articleshow/53046411.cms) और 'If you've ever loved a dog, this will move you to tears(http://timesofindia.indiatimes.com/life-style/relationships/soul-curry/If-youve-ever-loved-a-dog-this-will-move-you-to-tears/articleshow/54670195.cms) , "दी टाईम्स आफ ईन्डिया" अख्बार मे प्रकशित हुआ। मेरे लेख को कई लोगो से प्रोत्साहन मनेिला, जो की मेरे जीवन की सबसे बडी उपलब्धि है।

लक्ष्य[संपादित करें]

जीवन मे आगे बढ्ते हुए, मै अपने आप को एक सफल तथा सुल्झा हुआ जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक के तौर पर देखना चाहता हू। ेर परिल्पना है कि बढ्ती आबादी और बढ्ती बीमारियो का इलाज, जैव प्रौद्योगिकी से सम्भव है। मै अपने जीवन मे एक सुशील मनुष्य के साथ साथ एक क्रांतिकारी एवम प्रभावशाली लेखक भी बनना चाहता हू। मै आशा करता हू की मै अपने विचारो और रचनात्मक भाव से इस समाज मे किसी अचछे बद्लावो का कारण बनू।