हनुमन्नाटक

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हनुमन्नाटक हनुमान कवि द्वारा संस्कृत में रचित 'हनुमन्नाटक' के आधार पर हृदयराम ने सम्वत् १६२३ में हिन्दी भाषा में इसी नाम से पद्यबद्ध नाटक की रचना की। यह भगवान राम के जीवन पर आधारित धार्मिक ग्रन्थ है। श्री तारकनाथ बाली के अनुसार हृदयराम पंजाबी थे। उनके 'हनुमन्नाटक' को गुरु गोविन्द सिंह सदा अपने साथ रखते थे। इससे सिखों में भी इस ग्रन्थ का बड़ा सम्मान है। पूरा ग्रन्थ लगभग डेढ़ हजार छंदों में समाप्त हुआ है। इसमें सीता-स्वयंवर से लेकर राम-राज्याभिषेक तक की कथा प्रस्तुत है।[1][2][3][4][5][6]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. गणपतिचन्द्र गुप्त. हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास. राजकमल प्रकाशन. पृ॰ २२९. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8180312968, 9788180312960 |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character (मदद).
  2. देवेन्द्र कुमार (१९६७). संस्कृत नाटको के हिंदी अनुवाद. Rājapāla. पृ॰ ४.
  3. श्यामबाला गोयल (१९७६). भक्तिकालीन राम तथा कृष्णा काव्य की नारी भावना. विभु प्रकाशन. पृ॰ ४१.
  4. श्यामबाला गोयल (१९७६). भक्तिकालीन राम तथा कृष्णा काव्य की नारी भावना. विभु प्रकाशन. पृ॰ ११२.
  5. श्यामबाला गोयल (१९७६). भक्तिकालीन राम तथा कृष्णा काव्य की नारी भावना. विभु प्रकाशन. पृ॰ ४१.
  6. डॉ॰ मालती सिंह (२००७). आधुनिक हिंदी काव्य और पुराणकथा. राजकमल प्रकाशन. पृ॰ ३०८.